Thursday, September 19, 2024
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पंचायत के ‘प्रहलाद चा’ कभी स्टेशन पर सोते थे: खाने में खूब मिर्च डालते थे ताकि पेट जल्दी भर जाए; कोविड से पिता की मौत से टूट गए

मुंबई7 मिनट पहलेलेखक: आशीष तिवारी/अरुणिमा शुक्ला

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संघर्ष की कहानी में इस बार कहानी पंचायत के प्रहलाद चा यानी फैजल मलिक की है।

‘पंचायत’ के प्रहलाद चा यानी फैजल मलिक। यह नाम पिछले कुछ दिनों से चर्चा में है। हो भी क्यों न, ‘पंचायत’ के तीसरे सीजन में उन्होंने अपनी संजीदा एक्टिंग से सबका दिल जो जीत लिया है। ‘गैंग्स ऑफ वासेपुर’ जैसी फिल्म में चंद मिनटों का रोल निभाने वाले फैजल मलिक आज किसी परिचय के मोहताज नहीं हैं। हालांकि, उन्होंने सफलता की सीढ़ियां आसानी से नहीं चढ़ी हैं। इसके लिए उन्हें काफी संघर्ष करना पड़ा है।

उनके संघर्ष की कहानी जानने के लिए हम मुंबई के अंधेरी वेस्ट के यारी रोड स्थित उनके घर पहुंचे। हमने घंटी बजाई तो उन्होंने दरवाजा खोला। हमने हाय-हैलो किया, उन्होंने कहा कि पहले नाश्ता कर लो फिर इंटरव्यू करेंगे। फैजल ने कहा कि वह हमारे आने पर साथ में नाश्ता करने का इंतजार कर रहा है। उसने हमें डाइनिंग टेबल पर बैठाया। खाने के लिए इतना कुछ था कि हमें समझ में नहीं आया कि शुरुआत कहां से करें।

मेरे साथ एक सहकर्मी और दो कैमरामैन थे। मैंने कुछ सैंडविच और एक गिलास तरबूज का जूस लिया। हम करीब 10 मिनट बाद उठे। कैमरामैन ने फैसल को माइक दिया। 5 मिनट बाद हमने इंटरव्यू शुरू किया।

फैजल ने बताया कि मुंबई आने के बाद उन्हें सबसे ज्यादा दिक्कत रहने और खाने-पीने में हुई। उनके पास खाने के लिए पैसे नहीं थे। किसी तरह से वो दिन में एक बार खाना खा पाते थे। वो अपने खाने में खूब मिर्च डालते थे और कई गिलास पानी पीते थे ताकि कम खाने से उनका पेट भर जाए।

फैजल ने बताया कि फिल्मों में आने से पहले वह एक टीवी चैनल में वीडियो एडिटर के तौर पर काम करते थे। उनसे 20 घंटे काम करवाया जाता था। एक बार तो पैर टूटने के बाद भी वह काम करते रहे।

तो आइए फैजल की संघर्ष की कहानी उन्हीं की जुबानी सुनते हैं…

पंचायत के 'प्रहलाद चा' कभी स्टेशन पर सोते थे: खाने में खूब मिर्च डालते थे ताकि पेट जल्दी भर जाए; कोविड से पिता की मौत से टूट गए

फिल्म देखने पर मुझे अपने परिवार से मार पड़ती थी
फैसल मलिक का जन्म उत्तर प्रदेश के इलाहाबाद में हुआ था। अपने बचपन के बारे में बात करते हुए फैसल ने कहा, ‘दूसरे बच्चों की तरह मेरा बचपन भी सामान्य था। मैंने कभी नहीं सोचा था कि मैं बड़ा होकर एक्टर बनूंगा।

हाँ, मुझे फ़िल्में देखना बहुत पसंद था, लेकिन मेरे घरवालों को मेरी यह आदत बिल्कुल पसंद नहीं थी। इसलिए मैं चोरी-छिपे फ़िल्में देखता था। कई बार मैं चोरी करते हुए पकड़ा गया और मेरी खूब पिटाई भी हुई। कई बार पिटाई के बाद भी मैंने फ़िल्में देखना नहीं छोड़ा।

फैजल अपनी ग्रेजुएशन (बीएससी) पूरी करने से पहले ही मुंबई जाकर एक्टर बनना चाहते थे, लेकिन उनका परिवार उनके इस फैसले के खिलाफ था। इस बात को लेकर परिवार से उनकी काफी बहस भी हुई। फिर इस हालत में उनके बड़े भाई ने उनका साथ दिया और फैजल को उनके दोस्त के यहां मुंबई भेज दिया। बाद में उनके माता-पिता भी उनका साथ देने लगे।

मुंबई पहुंचकर मुझे एहसास हुआ कि संघर्ष क्या होता है।
इस सफ़र के बारे में बात करते हुए फैज़ल कहते हैं, ‘मैं 22 साल की उम्र में मुंबई आया था। मैं बीकेसी (मुंबई का एक इलाका) में अपने भाई के दोस्त के घर पर रहता था। शुरू में तो सबको लगता है कि मुंबई आकर कोई महानायक अमिताभ बच्चन बन जाएगा। लेकिन, यहाँ रहने के बाद असलियत पता चलती है।

मुंबई पहुंचकर मैंने किशोर नमित कपूर एक्टिंग इंस्टिट्यूट में एक्टिंग का कोर्स करना शुरू किया। हालांकि, 3 महीने बाद मुझे एहसास हुआ कि यह आसान दिखने वाला काम बिल्कुल भी आसान नहीं है। मुझे फीस से लेकर रहने-खाने तक हर चीज का इंतजाम खुद ही करना था। घर से ज्यादा पैसे मांगना ठीक नहीं लगा। इसलिए मैंने कुछ काम करने का फैसला किया।

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पहली सैलरी थी सिर्फ 700 रुपए महीना
फैसल ने बताया कि जब वह मुंबई आया था तो उसके पिता उसे महीने का खर्च भेजते थे, लेकिन मुंबई में खर्च इलाहाबाद से कहीं ज़्यादा था। वह लंबे समय तक अपने पिता पर बोझ नहीं बनना चाहता था, इसलिए उसने कमाना शुरू कर दिया।

उन्होंने बताया, ‘सबसे पहले मैंने सहारा इंडिया में टेप लॉगइन का काम किया जो आमतौर पर इंटर्न करते हैं। यहां मुझे सबसे निचले स्तर की नौकरी मिली। इस नौकरी के दौरान मुझे सैकड़ों वीडियो टेप से कुछ खास तरह के विजुअल निकालने के लिए घंटों मेहनत करनी पड़ी। फिर कुछ समय बाद मैंने रात में एक दोस्त की मदद से एडिटिंग सीखना शुरू किया। मैंने 2-3 महीने में पूरा काम सीख लिया। एक दिन मैंने खुद ही एक प्रोमो काटा, उसे एडिट किया और सर को दिखाया। वह मेरा काम देखकर बहुत खुश हुए और टेप चिपकाने की जगह मुझे प्रोमो काटने का काम मिल गया।’

मेरी पहली सैलरी की बात करें तो मुझे पहले 700 रुपये महीना मिलता था, फिर 1300 रुपये और बाद में मुझे 3200 रुपये महीना मिलने लगा। सहारा में काम करने के बाद मैंने जी सिनेमा और स्टार वन में भी काम किया।

जब 20 फीट की ऊंचाई से गिरने के कारण उनका पैर टूट गया
फैजल ने बताया कि वह अपने काम को लेकर बहुत जुनूनी थे। इतना जुनूनी कि वह लगातार 5-6 दिन तक ऑफिस में काम करते थे। एक दिन उनका जुनून उनके लिए जानलेवा साबित हुआ। यह तब हुआ जब वह एक प्रोजेक्ट में एसोसिएट प्रोड्यूसर के तौर पर काम कर रहे थे। यहां उन्हें 20-20 घंटे काम करना पड़ता था।

एक दिन वे लगातार कई घंटों तक काम कर रहे थे। तभी वे 20 फीट की ऊंचाई पर चले गए और कैमरे पर नजारा देखने लगे। उन्हें पता ही नहीं चला कि वे 20 फीट ऊपर हैं और अचानक नीचे गिर गए। इस दुर्घटना में उनका पैर भी टूट गया। हालांकि, उन्होंने इसका असर अपने काम पर नहीं पड़ने दिया। अस्पताल जाकर प्लास्टर करवाने के बाद वे फिर रात में एडिटिंग करने चले गए।

फैजल की अपनी प्रोडक्शन कंपनी भी है, जिसके तहत उन्होंने रिवॉल्वर रानी, ​​सात उचक्के जैसी फिल्में प्रोड्यूस की हैं।

फैजल की अपनी प्रोडक्शन कंपनी भी है, जिसके तहत उन्होंने रिवॉल्वर रानी, ​​सात उचक्के जैसी फिल्में प्रोड्यूस की हैं।

कई रातें बिना खाए गुजारनी पड़ीं, सड़क और स्टेशन पर भी सोना पड़ा
दूसरे स्ट्रगलर्स की तरह फैजल को भी मुंबई में रहने और खाने-पीने में दिक्कतों का सामना करना पड़ा। उन्होंने बताया, ‘जब पैसों की कमी थी तो मैं पूरा दिन बिना खाए गुजारता था ताकि पैसे बचा सकूं। मैं मिर्च वाला खाना खाता था और खूब पानी पीता था। ऐसा करने से मैं कम खाकर भी पेट भर लेता था।’

मैं अपने भाई के दोस्त के घर पर ज़्यादा समय तक नहीं रुक सकता था। हालात ऐसे थे कि मुझे कई रातें सड़क पर ही बितानी पड़ीं। मुझे स्टेशनों पर भी सोना पड़ा। वैसे भी, ये सब चीज़ें अनुभव के लिए बहुत ज़रूरी हैं।’

‘गैंग्स ऑफ वासेपुर’ में लाइन प्रोड्यूसर थे, किस्मत से मिला रोल
एडिटिंग फील्ड में आने के बाद फैजल ने कभी एक्टिंग में जाने के बारे में नहीं सोचा था, लेकिन एक संयोग ने उन्हें एक्टिंग से परिचित करा दिया। फैजल कहते हैं, ‘मैं अनुराग कश्यप की फिल्म ‘गैंग्स ऑफ वासेपुर’ का लाइन प्रोड्यूसर था। इलाहाबाद में सिर्फ 4 दिनों की शूटिंग के लिए बड़ी मुश्किल से लोकेशन फाइनल हुई थी।

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फिल्म में इंस्पेक्टर गोपाल सिंह का किरदार निभाने वाले व्यक्ति शूटिंग के पहले दिन नहीं आए। फिर मुझसे यह रोल करने को कहा गया। पहले मुझे लगा कि यह 1-2 सीन का रोल होगा, इसलिए मैंने हामी भर दी। बाद में मुझे पता चला कि इस किरदार के लिए स्क्रीन स्पेस काफी लंबा है।

उस दिन एक दिलचस्प घटना घटी। जिस व्यक्ति को यह किरदार निभाना था, वह मुझसे थोड़ा पतला था। प्रोडक्शन टीम ने उसी हिसाब से यूनिफॉर्म सिलवाई थी। अगर तुरंत दूसरी यूनिफॉर्म का इंतजाम किया जाता, तो शूटिंग में देरी हो सकती थी। मजबूरी में मैंने किसी तरह वह यूनिफॉर्म पहन ली, लेकिन पैंट फट गई। उसे दोबारा सिलवाया गया, तब जाकर मेरा शॉट पूरा हुआ।

फैजल ने फिल्म 'गैंग्स ऑफ वासेपुर' में पुलिस अधिकारी की भूमिका निभाई थी। इस फिल्म में पंकज त्रिपाठी, राजकुमार राव और नवाजुद्दीन सिद्दीकी जैसे कलाकार भी नजर आए थे।

फैजल ने फिल्म ‘गैंग्स ऑफ वासेपुर’ में पुलिस अधिकारी की भूमिका निभाई थी। इस फिल्म में पंकज त्रिपाठी, राजकुमार राव और नवाजुद्दीन सिद्दीकी जैसे कलाकार भी नजर आए थे।

फैजल ने बताया कि फिल्म ‘गैंग्स ऑफ वासेपुर’ के बाद उन्हें सिर्फ पुलिस ऑफिसर के रोल ही मिलते थे। उन्होंने एक-दो ऑफर स्वीकार भी किए थे, लेकिन खराब कहानी के कारण ज्यादातर को रिजेक्ट कर दिया। इसके बाद फैजल 2-3 फिल्मों और 4-5 सीरीज में नजर आए।

‘पंचायत’ में प्रहलाद चा की भूमिका के लिए काफी वजन बढ़ाना पड़ा
फिर फैजल की झोली में सीरीज ‘पंचायत’ गिरी, जिससे वो घर-घर में प्रहलाद चा के नाम से मशहूर हो गए। ‘पंचायत’ के तीसरे सीजन में फैजल ने अपनी एक अलग छाप छोड़ी है। पिछले दो सीजन में मस्तीखोर रहे प्रहलाद चा का किरदार इस सीजन में आपको रुलाने वाला है।

फैजल ने बताया कि सीरीज के निर्देशक दीपक कुमार मिश्रा ने प्रहलाद चा का किरदार उन्हें ध्यान में रखकर लिखा था। इस तरह वे सीरीज के लिए चुने जाने वाले पहले एक्टर थे। बाकी सभी की कास्टिंग बाद में की गई।

इस रोल में फिट होने के लिए उन्होंने अपनी बॉडी को ट्रांसफॉर्म किया है। इस बारे में उन्होंने कहा, ‘इसमें कोई मेकअप या कुछ भी नहीं था। मैंने रोल के लिए काफी वजन बढ़ाया है। मैं दिन में सिर्फ दो घंटे सोता था। स्लीप साइकिल में बदलाव की वजह से मेरा वजन काफी बढ़ गया। मैंने मेकअप वगैरह का भी इस्तेमाल करके देखा, लेकिन उससे वो अहसास नहीं हुआ।’

कोविड में पिता की मौत से वह टूट गए थे
‘पंचायत’ के तीसरे सीजन में फैजल का किरदार पहले से थोड़ा ज्यादा गंभीर है। वजह यह है कि दूसरे सीजन में फैजल के ऑन-स्क्रीन बेटे की मौत हो जाती है। इस बारे में वे कहते हैं, ‘मृत्यु एक कड़वा सच है। यह हर किसी के जीवन में कभी न कभी आनी ही है। कोविड के दौरान मेरे पिता की मौत हो गई। मेरे करीबी दोस्त भी चले गए।’

‘पंचायत’ में इमोशनल सीन शूट करते समय मैं उनके बारे में सोचता रहता था। शायद इसी वजह से एक्टिंग बहुत स्वाभाविक लगी। मैंने जो भी किया है, सब अपने आप किया है। जो भी मेरे अंदर से निकल रहा था, वही स्क्रीन पर भी दिख रहा था।

यह कहते हुए फैजल थोड़ा भावुक हो गया। मैंने उसकी आंखों में आंसू भी देखे।

तस्वीर में फैसल अपनी पत्नी के साथ हैं। फैसल ने बताया कि जब वह एडिटर के तौर पर काम कर रहे थे, तब उनकी मुलाकात कुमुद शाही से हुई, जो बाद में उनकी पत्नी बनीं। कुमुद उनकी बॉस थीं। दोस्ती के कुछ समय बाद दोनों शादी करना चाहते थे, लेकिन अलग-अलग धर्म होने की वजह से उनके परिवार इस रिश्ते के खिलाफ थे। हालांकि, बाद में सब ठीक हो गया।

तस्वीर में फैसल अपनी पत्नी के साथ हैं। फैसल ने बताया कि जब वह एडिटर के तौर पर काम कर रहे थे, तब उनकी मुलाकात कुमुद शाही से हुई, जो बाद में उनकी पत्नी बनीं। कुमुद उनकी बॉस थीं। दोस्ती के कुछ समय बाद दोनों शादी करना चाहते थे, लेकिन अलग-अलग धर्म होने की वजह से उनके परिवार इस रिश्ते के खिलाफ थे। हालांकि, बाद में सब ठीक हो गया।

अपने अपकमिंग प्रोजेक्ट्स के बारे में फैजल ने बताया कि वह 3-4 फिल्मों और 2-3 वेब सीरीज में नजर आएंगे। इस लिस्ट में जो तेरा है वो मेरा, सब फर्स्ट क्लास जैसी फिल्में शामिल हैं।

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