दुर्गे दुर्घट भारी Durge Durgat Bhari Lyrics – Durga Aarti

 

Lyrics – ‘दुर्गे दुर्घट भारी‘ एक मराठी भक्ति गीत है जो देवी दुर्गा की स्तुति में गाया जाता है। नौ रातों के प्रमुख हिंदू त्योहार, नवरात्रि के दौरान भक्त इस आरती को गाते हैं। देवी दुर्गा देवी का सबसे लोकप्रिय अवतार हैं और देवी शक्ति के मुख्य रूपों में से एक हैं। ‘दुर्गा’ शब्द का अर्थ है दुखों का नाश करने वाली। 

Durge Durghat Bhari Bhajan Details

Bhajan Title: Durge Durgat Bhari
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Lyrics:
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Durge Durgat Bhari Lyrics

दुर्गे दुर्घट भारी तुजविण संसारी
अनाथनाथे अंबे करुणा विस्तारी
वारी वारी जन्म मरणांते वारी
हारी पडलो आतां संकट नीवारी

जय देवी जय देवी
महिषासुरमथनी
सुरवर-ईश्वर वरदे तारक संजीवनी

जय देवी जय देवी

त्रिभुवनी भुवनी पाहतां तुज ऐसी नाही
चारी श्रमले परंतु न बोलवे काहीं
साही विवाद करिता पडले प्रवाही
ते तू भक्तालागी पावसि लवलाही

जय देवी जय देवी

जय देवी जय देवी
महिषासुरमथनी
सुरवर-ईश्वर वरदे तारक संजीवनी

प्रसन्न वदने प्रसन्न होसी निजदासां
क्लेशापासूनि सोडवी तोडी भवपाशा
अंबे तुजवांचून कोण पुरविल आशा
नरहरि तल्लिन झाला पदपंकजलेशा

जय देवी जय देवी

जय देवी जय देवी
महिषासुरमथनी
सुरवर-ईश्वर वरदे तारक संजीवनी

जय देवी जय देवी

Written By – Traditional

Durge Durgat Bhari Lyrics In English

Durge Durghat Bhari Tujvin Sansari
Anathanathe Ambe Karuna Vistari
Vari Vari Janma Maranate Vari
Haari Padalo Aata Sankat Nivari

Jai Devi Jai Devi Mahishasuramathini
Suravara Ishwara Varade Taraka Sanjivani
Jai Devi Jai Devi

Tribhuvana Bhuvani Pahata Tuja Aisi Nahi
Chari Shramale Parantu Na Bolve Kahi
Sahi Vivad Karita Padale Pravahi
Te Tu Bhaktalagi Pavasi Lavalahi

Jai Devi Jai Devi

Jai Devi Jai Devi Mahishasuramathini
Suravara Ishwara Varade Taraka Sanjivani
Jai Devi Jai Devi

Prasanna Vadane Prasanna Hosi Nijadasa
Kleshampasuni Sodavi Todi Bhavapasha
Ambe Tujvachun Kon Purvila Asha
Narahari Tallina Jhala Padapankajalesha

Jai Devi Jai Devi

Jai Devi Jai Devi Mahishasuramathini
Suravara Ishwara Varade Taraka Sanjivani
Jai Devi Jai Devi

Jai Devi Jai Devi Mahishasuramathini
Suravara Ishwara Varade Taraka Sanjivani
Jai Devi Jai Devi

Durge Durgat Bhari Lyrics FAQs & Trivia

मां दुर्गा किसकी प्रतीक हैं?

देवी दुर्गा को शक्ति का प्रतीक माना जाता है। उन्हें विभिन्न प्रकार के वैदिक साहित्य में एक ऐसी देवी के रूप में चित्रित किया गया है, जिनके पास इस भौतिक दुनिया से बहुत परे स्त्री कौशल, शक्ति, दृढ़ संकल्प, ज्ञान और दंड है।

‘दुर्गा’ शब्द का क्या अर्थ है?

‘दुर्गा’ शब्द का अर्थ है दुखों का नाश करने वाली। देवी दुर्गा को ब्रह्मांड की माता के रूप में माना जाता है और उनकी छवि उनके भक्तों के लिए शक्ति और दिव्यता का प्रतीक है।

हम माँ दुर्गा की पूजा अर्चना क्यों करते हैं?

भक्त माँ दुर्गा की पूजा अर्चना सकारात्मक ऊर्जा प्राप्त करने के लिए, अपने मन को शुद्ध करने के लिए, पवित्रता और मोक्ष प्राप्त करने के लिए करते हैं। इसलिए हिंदू नौ दिवसीय त्योहार नवरात्रि मनाते हैं और अपने व्यस्त कार्यक्रम से समय निकालकर देवी दुर्गा के नौ अवतारों का पूजा एवं अर्चना द्वारा सम्मान करते हैं।

माँ दुर्गा को पूजा अर्चना में क्या अर्पित किया जाता है?

मां दुर्गा के नौ रूपों की पूजा नौ अलग अलग प्रसाद या भोग से की जाती है। यहां देवी दुर्गा के नौ रूप और उन्हें दिए जाने वाले विशेष भोग के बारे में बताया गया है।

१. देवी शैलपुत्री
भक्त मां शैलपुत्री के चरणों में शुद्ध घी का भोग लगाते हैं।

२. देवी ब्रह्मचारिणी
परिवार के सदस्यों की लंबी उम्र के लिए देवी ब्रह्मचारिणी को चीनी का भोग
लगाया जाता है।

३. देवी चंद्रघंटा
देवी चंद्रघंटा खीर से प्रसन्न होती हैं। वह सभी दुखों को दूर भगाने के लिए जानी जाती हैं।

४. देवी कुष्मांडा
भक्त अपनी बुद्धि और निर्णय लेने की क्षमता में सुधार के लिए मां कुष्मांडा को मालपुआ चढ़ाते हैं।

५. देवी स्कंदमाता
केला देवी स्कंदमाता का प्रिय फल है।

६. देवी कात्यायनी
भक्त देवी कात्यायनी को प्रसाद के रूप में शहद चढ़ाते हैं।

७. देवी कालरात्रि
देवी कालरात्रि को प्रसाद के रूप में गुड़ का भोग चढ़ाएं इससे कष्ट, विघ्नों से मुक्ति और सुख की प्राप्ति होती है।

८. देवी महागौरी
भक्तों द्वारा देवी महागौरी को नारियल चढ़ाया जाता है।

९. देवी सिद्धिदात्री
अप्राकृतिक घटनाओं से सुरक्षा के लिए देवी सिद्धिदात्री को तिल अर्पित किए जाते हैं।

नवरात्री में दुर्गा माँ के लिए कौन सा दिन होता है?

दुर्गा की जीत के दिन को विजयदशमी (बंगाली में बिजॉय), दशईं (नेपाली) या दशहरा (हिंदी में) के रूप में मनाया जाता है – इन शब्दों का शाब्दिक अर्थ है “दसवें (दिन) पर जीत”।