Sunday, September 8, 2024
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बाल अधिकार संस्था ने नेटफ्लिक्स को तलब किया: 29 जुलाई को पेश होने को कहा; ओटीटी प्लेटफॉर्म पर नाबालिगों तक यौन सामग्री की पहुंच का मुद्दा

राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग (एनसीपीसीआर) ने मंगलवार (23 जुलाई) को ओटीटी प्लेटफॉर्म नेटफ्लिक्स को समन जारी किया। इसमें कहा गया है कि नेटफ्लिक्स के प्लेटफॉर्म पर यौन सामग्री दिखाई जाती है और यह सामग्री नाबालिगों को आसानी से उपलब्ध है। यह पॉक्सो एक्ट 2012 का उल्लंघन है।

एनसीपीसीआर ने कहा है कि इस मामले पर नेटफ्लिक्स को जून की शुरुआत में पत्र लिखा गया था, लेकिन कोई जवाब नहीं मिला। वहीं, आयोग की ओर से जारी नए समन पर नेटफ्लिक्स की ओर से कोई बयान नहीं आया।

आयोग ने सीपीसीआर अधिनियम, 2005 की धारा 14 के तहत नेटफ्लिक्स के अधिकारियों को इस मामले में अब तक उठाए गए कदमों के विवरण के साथ 29 जुलाई को अपराह्न 3 बजे उपस्थित होने को कहा है।

मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, भारत में नेटफ्लिक्स के 12 मिलियन ग्राहक हैं।

मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, भारत में नेटफ्लिक्स के 12 मिलियन ग्राहक हैं।

वेब सीरीज के रूप में बी-ग्रेड और कम बजट की सॉफ्ट पोर्न सामग्री
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, 2018 से 2024 के बीच कई ओटीटी प्लेटफॉर्म्स ने वेब सीरीज के रूप में बी-ग्रेड और कम बजट का सॉफ्ट पोर्न कंटेंट पेश करना शुरू कर दिया था। इस पर सुप्रीम कोर्ट और दिल्ली हाई कोर्ट ने ओटीटी पर रेगुलेशन के नियम लागू किए। अब सरकार इंटरमीडियरी गाइडलाइंस और डिजिटल मीडिया एथिक्स कोड रूल्स, 2021 के जरिए ओटीटी प्लेटफॉर्म्स के कंटेंट पर नजर रखती है।

नियमों के अनुसार, ओटीटी प्लेटफॉर्म्स को अपने कंटेंट के वर्गीकरण, आयु रेटिंग और स्व-नियमन का खुद ही पालन करना होगा। अगर ऐसा नहीं किया जाता है तो इस अधिनियम की धारा 67, 67ए और 67बी के तहत सरकार पेश किए जा रहे आपत्तिजनक कंटेंट को ब्लॉक कर सकती है।

नेटफ्लिक्स की शुरुआत 2004 में हुई कहानी सफलता की
नेटफ्लिक्स की सफलता की कहानी 2004 में शुरू हुई, जब इसका सालाना रेवेन्यू बढ़कर 3.73 हजार करोड़ रुपए हो गया। इसके बाद कंपनी की लोकप्रियता और सब्सक्राइबर्स की संख्या में तेजी से बढ़ोतरी हुई। 2005 तक दुनियाभर में करीब 50 लाख लोगों ने इसे सब्सक्राइब कर लिया था। लेकिन यूट्यूब भी 2005 में ही आ गया था।

ट्यूब जिस तरह से फैल रहा था उसे देखते हुए नेटफ्लिक्स ने 2007 में पहली बार अपने ऐप पर वीडियो स्ट्रीमिंग शुरू की। अब ऐप पर वॉच नाउ का ऑप्शन था। लोग बिना किसी डीवीडी के सीधे अपनी पसंदीदा फिल्म देख सकते थे। यह कंपनी के लिए गेम चेंजर साबित हुआ। इसके बाद कंपनी ने ब्लू रे, एक्सबॉक्स 360 के साथ डील की और अब यह कंपनी नेटफ्लिक्स पर अपना कंटेंट स्ट्रीम कर सकती थी।

नेटफ्लिक्स द्वारा लाया गया बिंज वॉचिंग का कल्चर
हार्वर्ड बिजनेस रिव्यू को दिए गए एक इंटरव्यू में नेटफ्लिक्स के सीईओ ने कहा कि बाजार में बने रहने के लिए बदलाव बहुत जरूरी है। नेटफ्लिक्स ने शुरुआत में कूरियर के जरिए लोगों के घरों तक डीवीडी पहुंचाई। फिर उसने फिल्मों और टीवी शो का डिजिटल प्रसारण शुरू किया।

उन्होंने आगे कहा कि अब नेटफ्लिक्स कंटेंट बनाने पर बहुत पैसा खर्च कर रहा है। 2021 में इसने ओरिजिनल कंटेंट पर 1.35 लाख करोड़ रुपए खर्च किए। पहले एक एपिसोड रिलीज होने के बाद अगले एपिसोड के लिए एक हफ्ते तक इंतजार करना पड़ता था। इस संस्कृति को खत्म करते हुए नेटफ्लिक्स ने सभी एपिसोड एक साथ रिलीज करके बिंज वॉचिंग की संस्कृति विकसित की।

भारत भारत में ओटीटी की शुरुआत की कहानी
देश में ओटीटी की शुरुआत 2008 में हुई थी। पहला स्वतंत्र ओटीटी प्लेटफॉर्म ‘बिगफ्लिक्स’ था। इसे रिलायंस एंटरटेनमेंट ने साल 2008 में रिलीज किया था। इसके बाद साल 2010 में डिजीविव ने ‘नेक्स्टजीटीवी’ नाम से भारत का पहला ओटीटी मोबाइल ऐप लॉन्च किया।

2013 और 2014 में, NexGTv आईपीएल मैचों को लाइव स्ट्रीम करने वाला पहला ऐप बन गया। फिर 2015 में, आईपीएल लाइव स्ट्रीमिंग ने हॉटस्टार (अब डिज्नी+हॉटस्टार) को देश का सबसे लोकप्रिय ओटीटी प्लेटफ़ॉर्म बना दिया।

2013 में डिट्टो टीवी और सोनी लिव जैसे ऐप भी लॉन्च हुए, जो स्टार, सोनी, वायकॉम और ज़ी जैसे चैनलों पर प्रसारित होने वाले शो को ओटीटी पर स्ट्रीम करने लगे। इसके बाद दर्शकों ने बड़े पैमाने पर इन ओटीटी ऐप को डाउनलोड करना शुरू कर दिया और अपनी पसंद के समय पर अपने पसंदीदा शो देखने लगे।

कोरोना काल में आया हाइप
2020 में कोरोना काल के शुरुआती तीन महीनों में भारत में ओटीटी प्लेटफॉर्म्स को 2019 के आखिरी तीन महीनों के मुकाबले 13% ज्यादा व्यूज मिले। पहले लॉकडाउन के दौरान जी5 के सब्सक्राइबर सबसे ज्यादा 80% बढ़े, जबकि अमेजन प्राइम को 67% नए यूजर्स ने सब्सक्राइब किया।

इन्वेस्ट इंडिया की एक रिपोर्ट के मुताबिक कोरोना काल में अमेजन प्राइम, नेटफ्लिक्स और डिज्नी प्लस हॉटस्टार जैसे ओटीटी प्लेटफॉर्म पर यूजर्स द्वारा बिताया गया समय 82.63% बढ़ा है। इसी दौरान देश के लोगों ने यूट्यूब जैसे फ्री एक्सेस प्लेटफॉर्म पर 20.5% ज्यादा समय बिताया।

2018 तक भारत में OTT प्लेटफॉर्म का बाज़ार 2150 करोड़ रुपए का था, जो 2019 के अंत तक बढ़कर 2185 करोड़ रुपए हो गया। यानी सिर्फ़ एक साल में इसमें 35 करोड़ की बढ़ोतरी हुई।

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