Sunday, September 8, 2024
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अपनी कहानी सुनाते हुए रो पड़े मिर्जापुर के ‘लाला’: कास्टिंग वाले लोग उनकी फोटो कूड़ेदान में फेंक देते थे; क्रिकेटर बनना चाहते थे लेकिन राजनीति का शिकार हो गए

इस बार संघर्ष की कहानी मिर्जापुर सीरीज में लाला का किरदार निभाने वाले अभिनेता अनिल जॉर्ज की है।

‘आज लोग मुझे मिर्जापुर के लाला के नाम से जानते हैं। हाल ही में मैं फिल्म कल्कि 2898 ई. में भी नजर आया हूं। अमिताभ बच्चन, प्रभास, कमल हासन और दीपिका पादुकोण जैसे सितारों के साथ काम करना हर एक्टर का सपना होता है। मेरा भी यही सपना था, जो पूरा हो गया।’

बहरहाल, जब मैं अपनी जिंदगी के पन्नों को पलटता हूं तो अपनी खुद की जद्दोजहद के बारे में सोचकर आंखें नम हो जाती हैं। मैं 1996 में कुछ कर गुजरने की चाहत लेकर मुंबई आया था। यहां मैं सिर्फ टॉम सर (टॉम ऑल्टर- मशहूर अभिनेता) को जानता था। मैं उनके सहारे यहां आया था, लेकिन यहां अपनी पहचान बनाने के संघर्ष ने मुझे खून के आंसू रुला दिए।

अनिल जॉर्ज यह बताते हुए रोने लगते हैं। अनिल कहते हैं कि आज वह किसी के सामने अपने दिल की बात खुलकर नहीं कह पाते। शुरुआत में वह ऐसा करते थे, लेकिन उनकी सच्चाई जानने के बाद लोग उनका मजाक उड़ाते थे।

अनिल अपने आंसू पोंछते हुए कहते हैं, ‘इस सफर में सिर्फ टॉम सर और मेरी पत्नी ने मेरा साथ दिया है। जब भी मैं रोया, इन दोनों ने ही मेरे आंसू पोंछे हैं।’

छोटी उम्र से ही अभिनय शुरू कर दिया था
अनिल का जन्म एक ईसाई परिवार में हुआ था। अपने बचपन के बारे में बात करते हुए उन्होंने कहा, “मेरा बचपन भी आम बच्चों की तरह ही बीता। ईस्टर और क्रिसमस जैसे त्योहारों पर नाटक खेले जाते थे। मेरे बड़े भाई-बहन भी इन नाटकों में हिस्सा लेते थे। उन्हीं के नक्शेकदम पर चलते हुए मैंने भी अभिनय करना शुरू किया। मैंने इसे सिर्फ़ मनोरंजन के लिए किया, मैंने कभी नहीं सोचा था कि यह शौक मेरी किस्मत बन जाएगा।”

क्रिकेटर बनना चाहता था
अनिल ने बताया कि उन्हें क्रिकेट खेलने का बहुत शौक था। वह त्योहारों पर नाटकों में अभिनय करते थे, लेकिन वह हमेशा क्रिकेट खेलते थे। इस बारे में उन्होंने कहा, ‘मुझे क्रिकेट खेलने में सबसे ज्यादा शांति मिलती थी। शुरुआत में मुझे नहीं पता था कि मैं एक बेहतरीन गेंदबाज हूं।

मेरी माँ की कम उम्र में ही मृत्यु हो गई थी, जिसके बाद मुझे एक रिश्तेदार के घर रहने के लिए भेज दिया गया। वहाँ भी जीवन संघर्ष से भरा था। वहाँ जाने के बाद भी क्रिकेट के प्रति मेरा जुनून कम नहीं हुआ। वहाँ कॉलेज के कुछ सीनियर्स ने मुझे एहसास दिलाया कि मैं एक अच्छा गेंदबाज़ हूँ।

मैं अपने देश के लिए क्रिकेट खेलना चाहता था, लेकिन इस क्षेत्र से जुड़े कुछ लोगों ने मुझे आगे बढ़ने नहीं दिया। उन्हें डर था कि मैं उनसे बहुत आगे निकल जाऊंगा, इसलिए उन्होंने मेरे सपने को मारना ही बेहतर समझा।

मुश्किल वक्त में पत्नी ने दिया आर्थिक सहयोग
अभिनय के क्षेत्र में आने से पहले अनिल के दिवंगत अभिनेता टॉम ऑल्टर से दोस्ताना संबंध थे। उन्होंने ही अनिल को अभिनय की दुनिया में पहला ब्रेक दिया था। अनिल कहते हैं, ‘टॉम सर ने मुझे 1996 में मुंबई बुलाया था। उनकी वजह से ही मुझे टीवी शो युग में काम मिला था।

इसके बाद मुंबई का सफ़र बिल्कुल भी आसान नहीं था। इतनी मुश्किलें थीं कि मैं उन्हें शब्दों में बयां भी नहीं कर सकता। रहने और खाने का कोई ठिकाना नहीं था। इस मुश्किल समय में टॉम सर और मेरी पत्नी नंदी ने मेरा सबसे ज़्यादा साथ दिया।

जब खाने को कुछ नहीं होता था तो टॉम सर मुझे कुछ पैसे दे देते थे, जिससे मैं कुछ दिन गुजार लेता था। नंदी ने भी मेरी आर्थिक मदद की। वह एम्स में नर्स थी। शादी के बाद जब तक मुझे नौकरी नहीं मिल गई, उसने मेरा सारा खर्च उठाया।

उस समय मेरे पास लंबे समय तक काम नहीं था। मुझे नहीं पता था कि आगे क्या होने वाला है, लेकिन नंदी ने कभी मुझसे सवाल नहीं किया। उन्होंने कभी मुझसे यह नहीं कहा कि कोई और काम ढूंढो, ऐसे काम नहीं चलेगा। हालात ऐसे थे कि मैं आसानी से टूट सकता था, लेकिन नंदी के सहयोग ने मुझे हर कदम पर आगे बढ़ने के लिए प्रोत्साहित किया। इसके लिए मैं आज भी नंदी का आभारी हूँ।

जब फिल्म से ये सीन काट दिए गए तो दोस्तों ने उनका मजाक उड़ाया
अनिल ने 1999 में आई फिल्म ‘हू तू तू’ में काम किया था। इस फिल्म में सुनील शेट्टी, तब्बू और नाना पाटेकर जैसे कलाकार मुख्य भूमिका में थे। अनिल ने बताया कि फिल्म में उनके ज्यादातर सीन तब्बू के साथ थे।

उन्होंने कहा, ‘मैंने एक सीन में तब्बू को मारा भी था। फिल्म साइन करने के बाद मैंने खुशी-खुशी अपने कई दोस्तों को बताया था कि मैं इतनी बड़ी स्टार कास्ट के साथ पर्दे पर नजर आऊंगा, लेकिन जब फिल्म रिलीज हुई तो मैंने देखा कि मेरे कई सीन हटा दिए गए हैं। इससे मुझे काफी दुख पहुंचा और मैं अपने दोस्तों के बीच हंसी का पात्र बन गया।’

इस घटना के बाद से मैं बड़ी से बड़ी फिल्म साइन करने के बाद भी तब तक किसी को नहीं बताता जब तक कि फिल्म रिलीज न हो जाए।

जब मैं काम मांगने जाता तो लोग मेरी फोटो फाड़कर कूड़ेदान में फेंक देते
अनिल ने अपने आगे के सफर के बारे में बताया, ‘हर स्ट्रगलर की तरह मैंने भी ऑडिशन और रिजेक्शन का दौर झेला है। मैं अपनी यंग एज में बहुत अच्छा दिखता था। मुझे लगता था कि लोग मुझे सड़क पर चलते हुए भी हीरो का रोल ऑफर कर सकते हैं। इस वजह से मैं बड़े-बड़े डायरेक्टर्स और प्रोड्यूसर्स के दफ्तरों के चक्कर लगाता था।’

मैं बड़े उत्साह से अपनी फोटो खिंचवाता था और फिर स्टूडियो में काम मांगने जाता था। हर बार मुझे लगता था कि बात बन जाएगी। लेकिन ऐसा नहीं हुआ। मेरी फोटो कभी किसी डायरेक्टर या प्रोड्यूसर के पास नहीं पहुंची। उस फोटो को पहले ही कूड़ेदान में फेंक दिया गया।

आखिर में अनिल ने बताया कि वह फिलहाल किसी प्रोजेक्ट पर काम नहीं कर रहे हैं। उनका कहना है कि उन्हें जो भी काम मिलेगा, वह उसे पूरी शिद्दत से करेंगे।

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