या कुन्देन्दुतुषारहारधवला Ya Kundendu Tusharahara Dhavala Lyrics

” A beautiful prayer to the Divine Mother Saraswati for bestowing so much of her grace and love! Saraswati Mantra is a highly powerful one and is easy to learn. Recited every morning to mark a good beginning of the day and to start the day on a positive note. The regular chanting of this mantra can win the grace of Mother Saraswati bestow goodness and knowledge and help the chanters mature spiritually.

Ya Kundendu Tusharahara Dhavala Lyrics

या कुन्देन्दुतुषारहारधवला या शुभ्रवस्त्रावृता
या वीणावरदण्डमण्डितकरा या श्वेतपद्मासना।

या ब्रह्माच्युत शंकरप्रभृतिभिर्देवैः सदा वन्दिता
सा मां पातु सरस्वती भगवती निःशेषजाड्यापहा ॥1॥

शुक्लां ब्रह्मविचार सार परमामाद्यां जगद्व्यापिनीं
वीणा-पुस्तक-धारिणीमभयदां जाड्यान्धकारापहाम्‌।

हस्ते स्फाटिकमालिकां विदधतीं पद्मासने संस्थिताम्‌
वन्दे तां परमेश्वरीं भगवतीं बुद्धिप्रदां शारदाम्‌॥2॥

Ya Kundendu Tusharahara Dhavala Meaning in Hindi

जो विद्या की देवी भगवती सरस्वती कुन्द के फूल, चंद्रमा, हिमराशि और मोती के हार की तरह धवल वर्ण की है और जो श्वेत वस्त्र धारण करती है, जिनके हाथ में वीणा-दण्ड शोभायमान है, जिन्होंने श्वेत कमलों पर आसन ग्रहण किया है तथा ब्रह्मा विष्णु एवं शंकर आदि देवताओं द्वारा जो सदा पूजित हैं, वही संपूर्ण जड़ता और अज्ञान को दूर कर देने वाली सरस्वती हमारी रक्षा करें ॥1॥

शुक्लवर्ण वाली,संपूर्ण चराचर जगत्‌ में व्याप्त, आदिशक्ति, परब्रह्म के विषय में किए गए विचार एवं चिंतन के सार रूप परम उत्कर्ष को धारण करने वाली, सभी भयों से भयदान देने वाली, अज्ञान के अंधेरे को मिटाने वाली, हाथों में वीणा, पुस्तक और स्फटिक की माला धारण करने वाली और पद्मासन पर विराजमान्‌ बुद्धि प्रदान करने वाली, सर्वोच्च ऐश्वर्य से अलंकृत, भगवती शारदा (सरस्वती देवी) की मैं वंदना करता हूं ॥2॥

Ya Kundendu Tusharahara Dhavala Lyrics in English

Ya Kundendu Tusharahara Dhavala Ya Shubhra Vastravruta
Ya Veena Varadanda Manditakara Ya ShwetPadmasana
Ya Brahmachyut Shankara Prabhritibihi Devai Sada Vandita
Sa Mam Pattu Saraswati Bhagwati Nihshesh Jadyapaha ||

Shuklam Brahmavichara Sara Parma, Adyam Jagadvyapineem
Veena Pustaka Dharineem Abhayadam Jadyandhakarapaham।
Haste Sphatikamalikam Vidadhateem Padmasane Samsthitam
Vande Tam Parmeshvareem Bhagwateem Buddhipradam Sharadam॥2॥

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